Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 110( An Unconscious Break-7)

"तूने ये क्यूँ कहा कि जब तक MTL भाई तेरे साथ रहा....  बाद मे उसने तेरा साथ छोड़ दिया क्या..??..."

वरुण के इस सवाल का जवाब देना मेरे मुश्किल कामो मे से एक था,लेकिन उसे सच तो मालूम ही पड़ता,आज नही तो कल मैं खुद उसे ये सच बताने ही वाला था... मै बिस्तर पर छत की ओर देखते हुए लेट गया और एक सिगरेट सुलगा कर एक लंबा कश लेने के बाद धुआँ छोड़ते हुए बोला..

"मैने ऐसा इसलिए कहा क्यूंकी MTL भाई अब ज़िंदा नही है..."

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अरुण ये सच पहले से जानता था... जानता क्या था, बल्कि उसने तो इस सच को मेरे साथ जिया था. लेकिन वरुण को ये सच एक झटके मे मालूम चला था ,इसलिए वरुण इस वक़्त झटका खाकर मुँह फाड़े मुझे घूरे जा रहा था.सिदार  अब ज़िंदा नही है...ये सुनकर वरुण की आँखे बड़ी हो गयी,मुँह खुला का खुला रह गया और दिमाग़ शुन्य हो गया .... वो काफ़ी देर तक मुझे सिगरेट के कश लेते हुए चुप-चाप देखता रहा, वो शायद इस वक़्त सोच रहा था कि मैं सिदार  के मौत पर इतना नॉर्मल बिहेवियर कैसे कर सकता हूँ....पर सच ये नही था, सच ये था कि मैं खुद भी बहुत बेचैन हुआ था,जब मुझे सिदार  की मौत की खबर मिली थी...

उस पल,उस समय,उस वक़्त जब मुझे ये बद्जात और मनहूस खबर मिली तो मुझे यकीन ही नही हो रहा था कि सिदार  अब नही रहा. मैं ये सोच कर चल रहा था कि ये सब झूठ है,सिदार  ऐसे ,कैसे मर सकता है...लेकिन मेरे यकीन करने या ना करने से सच नही बदल जाता और ना ही मुझमे और किसी और मे इतनी काबिलियत और ताक़त है कि वो सच को बदल कर रख दे..... क्यूंकि समय का चक्र और चरखे मे तो एक दिन कटना हम सभी को है.. आज नहीं तो कल...

वरुण अब भी एक दम खामोश था और मैं सिगरेट के कश पर कश लिए जा रहा था और जब सिगरेट ख़त्म हुई तो मैने सिगरेट को अपनी उंगलियो  मे फसाया और दूर रखे डस्टबिन पर निशाना लगाकर उछाल दिया....

"गोल..."

"यार,मैं कभी सिदार  से नही मिला लेकिन फिर भी उसके बारे मे सुनकर सदमा सा लगा है...कुछ  करने की इच्छा जैसे ख़त्म सी हो गयी है, कुछ देर के लिए ..."बड़ी मुश्किल से वरुण सिर्फ़ इतना ही बोल पाया...

"किसी से जुड़ने के लिए उससे जान-पहचान ज़रूरी नही...जुड़ाव दिल से होता है,सूरत से नही... सूरत से तो सिर्फ आकर्षण होता है..कुछ समय के लिए "

"ये सब एक दम अचानक से कैसे हुआ...सिदार  की मौत कैसे हुई ?"

"मेरे ख़याल से मुझे धीरे-धीरे करके सब बताना चाहिए...लेकिन यदि तू चाहता है कि मैं डाइरेक्ट सिदार  के डेथ पॉइंट पर आउ,तो मुझे कोई प्राब्लम नही..."

"नही...धीरे-धीरे करके बता.."

मैने घड़ी मे टाइम देखा ,इस वक़्त 10:30 बज रहे थे,लेकिन निशा की कॉल का अभी तक कोई अता-पता नही था,इसलिए मैने कहानी ही आगे बढ़ाई.....
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"सिदार  भाई,ये हम सबको अपनी बातो मे फसा रहा है....यहाँ क्वेस्चन ये है कि अरमान और अरुण हमारे खिलाफ क्यूँ गये...जबकि मैने इन दोनो को प्यार से समझाया भी था कि वहाँ से चले जाए..."मेरे बाद अब नौशाद ने अपना जाल फेका और रूम का दरवाजा बंद कर दिया

हॉस्टल के सभी लड़के अब भी वही थे, वो सब दीवारो,दरवाजो और खिड़कियो पर अपने कान लगाकर बंद दरवाजे के पीछे क्या हो रहा है...ये सुन रहे थे...नौशाद के इस सवाल से मैं एक बार फिर शिकंजे मे फँसने लगा था और मुझे जल्द से जल्द कुछ  ना कुछ  करना था... इस वक़्त अमर सर का ये रूम किसी अदालत की तरह था,जहाँ जज के तौर पर एमटीएल भाई थे, मै और अरुण अरुण अपराधी कि तरह, तो वही नौशाद  किसी पीड़ित के तौर पर था,जिसने मुझ पर केस ठोका था.... यहाँ और असलियत की अदालत मे फरक सिर्फ़ इतना था कि दोनो पार्टी अपनी वकालत खुद कर रही थी...मतलब की नौशाद मुझ पर आरोप पर आरोप लगाकर मुझे मुजरिम साबित करने पर तुला हुआ था और मैं उन आरोप से बचने की कोशिश मे खुद की पैरवी कर रहा था.....
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नौशाद और उसके दोस्तो का कहना था कि मैने हॉस्टल  की बरसो से चले आ रहे नियम को तोड़ा है,जिसकी सज़ा मुझे मिलनी चाहिए और मेरा कहना था कि मैने नियम इसलिए तोड़ा क्यूंकी ये उस वक़्त ज़रूरी था..क्यूंकी कोई भी नियम ,क़ानून किसी की ज़िंदगी से बड़े नही होते और ये हॉस्टल कि इज्जत का भी सवाल था.

"सिदार  भाई,मैं तो बोलता हूँ कि ,आप यहाँ से जाओ और इन दोनो को हमारे हवाले कर दो...सालो को सब सिखा देंगे..."नौशाद ने कहा ,जिसके बाद उसके दोस्तो ने उसका समर्थन किया....

"एक मिनिट ,एमटीएल भाई...मैने आज कैंटीन  मे जो किया वो सब नौशाद और उसके दोस्तो की भलाई के लिए किया....अब आप सोचो कि ये दोनो जो करने जा रहे थे,उसके बाद इनका क्या हाल होता...."

"क्या होता,कोई कुछ  नही उखाड़ पाता मेरा "नौशाद बीच मे बोला..

"सुन बे नौशाद...जितनी देर तक इज़्ज़त दे रहा हूँ...ले ले वरना अभी हॉस्टल और NSUI के लौन्डो को बुलवाकर मरवा दूँगा..."उसके बाद मैने सिदार  की तरफ देखकर कहा......

"एमटीएल भाई, यदि आज कैंटीन  मे ये सब अपना काम कर दिए होते तो बहुत लंबा केस बनता, कॉलेज से निकाले जाते...सात साल जैल मे सड़ते और तो और ये भी हो सकता था कि ये चारो कल का सूरज नही देख पाते क्यूंकी ऐश  और दिव्या ,हमारे कॉलेज की कोई मामूली लड़की नही है...जिनके माँ-बाप अपनी दुहाई लेकर पुलिस  स्टेशन मे भागते फिरेंगे...एक का बाप इस शहर का बहुत बड़ा बिज़्नेसमॅन है तो दूसरे का बाप इस शहर का डॉन...वो दोनो मिलकर नौशाद और इसके चूतिए दोस्तो को कुत्ते की मौत मारते, इनका औजार तक काट देते और जब कल सुबह होता तो इनकी लाश किसी अनाथ की तरह सड़को पर पड़ी रहती....और फिर नतीजा ये होता कि इनके घरवालो को पुलिस  के चक्कर काटने पड़ते..."मैने अमर सर के रूम का दरवाजा खोला और जो-जो लोग दरवाजे पर कान लगाए हुए थे,मेरी इस हरकत के कारण हड़बड़ा कर वही गिर गये और उन सबको देखकर मैने कहा.....

"अब तुम सब ही बताओ कि सही क्या है और क्या ग़लत...और रही हॉस्टल  के सीनियर्स की रेस्पेक्ट की बात तो इन चारो से पुछो की कैंटीन  मे मैने क्या इनपर एक भी बार हाथ उठाया ? ये मुझे और अरुण पर अपनी फ्रस्टेशन निकालते रहे,हमे मारते रहे... लेकिन हमने कुछ  नही कहा,यहाँ तक कि इनसे मार खाने के बाद मैने और अरुण ने उन दोनो लड़कियो के पैर पकड़ कर इन चारो महापुरषो की हरकत पर माफी भी माँगी और उनसे रिक्वेस्ट भी की..कि वो ये बात किसी को ना बताए और उन्होने हमारी बात मान भी ली है...that's all और मेरे ख़याल से अब कुछ भी कहने -सुनने को   नही बचा है... Am I right...?"
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फिर क्या था...जहाँ कुछ  देर पहले हॉस्टल  के लड़के मुझ पर नाराज़ थे वो अब मुझसे खुश थे..हॉस्टल  के सभी लफंगो ने नौशाद और उसके दोस्तो को उनके मुँह पर बकलोल, बकचोद, पांडू कहा...कुछ  ने उनके पिछवाड़े पर एक दो लात भी मारी और उन्हें बेइज्जत करके वहा कमरे से निकाल दिया.अदालत का फ़ैसला मेरे पक्ष मे आया था और जब एमटीएल भाई ,रात को अपने घर जा रहे थे तो उन्होने मुझे वार्डन के ऑफिस मे बुलाया...
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"काफ़ी अच्छा प्लान बनाया तूने..."मेरे पहुंचते ही वो बोल पडे " एकदम से दिमाग़ शुन्य पड़ गया था मेरा..तेरी बाते सुनकर... ये टैलेंट on the spot निकल कर आता है या तूने पहले से ही स्पीच तैयार की हुई थी... बाकी किसी को नहीं पता की तूने अभी कुछ देर पहले क्या किया... लेकिन मुझे...मुझे उसी पल सब समझ मे आ गया था. तू सेकंड ईयर मे रहते हुए पुरे 600 लड़को कि कमान अपने हाथो मे लेना चाहता है... ताकि वो तेरे एक इशारे पर मरने -मारने पर उतारू हो जाए..."

"कोई प्लान नही बनाया सिदार  भाई...जो सच था ,वही बोला..."

"अरमान ,अपने शब्दो के जाल मे किसी और को फसाना...मुझे पूरा यकीन है कि तूने ये सारे ईक्वेशन सिर्फ़ इसलिए जोड़े,ताकि तू उन दोनो लड़कियो को बचा सके और फिर बाद मे खुद को... Let me break it down to you. पहली बार नौशाद के कहने पर जब तू कैंटीन  से बाहर आया तो मेरे ख़याल से  कन्फ्यूषन मे था कि हॉस्टल  वाले का साथ दूं या फिर उन दोनो लड़कियो का,..??? उसके बाद तूने ऐश  का साथ देने का सोचा और उन दोनों को कैंटीन  से बाहर भगा दिया.. .तूने नौशाद और उसके दोस्तो पर हाथ भी नही उठाया ताकि तू, मेरे और सारे हॉस्टल  वालो के सामने अपना पक्ष मज़बूत कर सके.. दूसरा कारण नौशाद पर हाथ ना उठाने का ये भी हो सकता है कि... तुझे पता था की यदि तूने उस वक़्त नौशाद को मारा होता तो... हॉस्टल के सीनियर्स सभी लड़को को लेकर तुम दोनों को मारने के लिए ढूंढ रहे होते और तू उन्हें जहा मिलता वो वही पकड़ के तुझे रगड़ देते. . लेकिन तूने ऐसे नहीं किया और इसलिए सभी हॉस्टलर्स तुझे ढूंढ़ने के बजाय, सिर्फ तेरा इंतजार करने लगे की तू कब हॉस्टल आए. रही मेरी बात तो तूने,  मुझे अपने प्लान मे तभी शामिल कर लिया था,जब तू ऐश  और दिव्या को बचाने के लिए कैंटीन  मे दोबारा घुसा था और मेरे ख़याल से तूने उन दोनो को ये भी कहा कि वो दोनो कैंटीन  वाली बात किसी को ना बताए,जिससे ये मामला रफ़ा-दफ़ा हो जाए...और फिर तूने मुझे कॉल किया ताकि तुझे अपनी बात रखने का अच्छा -खासा एक मंच मिल जाए और लड़के यही सोचे की मेरा सपोर्ट तुझे ही है... जहा तूने हॉस्टल के लड़को की बागडोर अपने हाथ मे ले ली...Am i right, Arman Sir...??"

"सच तो यही है लेकिन मुझे लगा नही था कि आप सच जान जाओगे और लीडरशिप की कमान आज की तारीख मे किसी के कहने से नहीं बल्कि करने से मिलती है... "

"पर, एक बात याद रखना अरमान कि इस हॉस्टल  मे तेरे अब चार दुश्मन हो गये है...ये चार ,चालीस मे तब्दील ना हो जाए...इसका ख़याल रखना... अब मैं चलता हूँ..."

"मैं कभी ये नही सोचता कि मेरे दुश्मन कितने है...मैं हमेशा ये सोचता हूँ कि मेरे दोस्त कितने है....यदि ये चार,चालीस मे बदल जाए...तो मैं कोशिश करूँगा कि मेरे दो दोस्त, 200 मे बदल जाए...वो क्या है ना एमटीएल भाई की ज़िंदगी मे जब तक मार-धाड जैसा एक्शन,एड्वेंचर ना हो तो ज़िंदगी जीने मे मज़ा नही आता... गुड नाइट एंड टेक केयर.... आपने जितना मेरे लिए किया, ये अहसान रहेगा मुझपर और यदि कभी मेरी जरूरत पड़ी..तो सिर्फ एक बार कह के देखना आप... श्री अरमान अपनी आखिरी सांस तक आपके लिए लड़ेगा... फिर चाहे वो 100 लोगो के बीच मे अकेला ही क्यों न हो ..."

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2 Comments

Shrishti pandey

19-Dec-2021 11:36 PM

Nice

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Archita vndna

19-Dec-2021 10:20 AM

Kafi intresting lg rahi h kahani h,

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